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I erased it cause you may not like it..

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You are the one I have been looking for, from the emergence of my existence. I looked at people, trees, sky, light, colours, and everything else but you were lost in their identification. Heard about looking within felt sometimes, you are present there , sometimes you manifest you true form,  at some you deform into me. Your nature is unimaginably intricate, yet the simplest. Hey, can you tell me who am I ? A traveller lost its way or a puppet of  play, does my emotins and tears matters or they are there to add a little drama to the play .  You are the greatest showman  indeed . I bow you. 

समय के अंत की और...

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 माना कि वह सभी आगे निकल जाएंगे, समय बीत जाएगा, परिवर्तन होगा, लक्ष्य बदल जाएंगे और प्राथमिकताएं भी । पर इंसान वही रहेगा, शायद आज जो करने में असमर्थता है, वह कहीं सरल बन जाएगा। मन की कुछ व्याधियों पार हो चुकी होगी। जीवन के करतब का दैनिक दर्शक बन उच्छृंखलता का विलोप भी संभव है…  कुल मिलाकर अंत में यही ठीक लगता है कि मैं स्वयं को बदलूं दूसरों की यात्रा से नजर हटा अपने भीतर नजर डालूं।अपने यात्रा के अगले पड़ाव की और बढ़ू क्योंकि यात्रा के मार्ग अलग हो सकते हैं उनमें हम आगे या पीछे हो सकते हैं पर गंतव्य तो एक ही है ना । और सुनो अगर तुमसे पहले और कोई उसे कर्तव्य तक पहुंच गया हो तो तुम हर्षित रहो क्योंकि हम सभी एक ही सर्वोत्तम के ही अंश है तो समझो उसकी वजह भी तुम्हारे ही विजय है जीवन मौलिक से उत्तम बनने की प्रक्रिया है जो निरंतर चलती रहेगी जब तक उत्तमता का सर्वाधिक विस्तार न हो जाए और ... अगर तुम विजई नहीं तो यह तुम्हारा अंत नहीं।

See you at the infinity ♾

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  Begin with irony. I could never be able to feel Her this much deep until We get apart forever. We both were ignorant just pretending to be fine … even if it wasn't!  This is our nature to always be indifferent. Compelled to keep back our true, wild, childish nature from the world. Just for the validation of judgmental society and surroundings. " She had always been obeying, but was it worth being like that?" Life is simple but yet profound. The more you experience, the lesser you pretend to be in the charge of it. It is not all in your hands. But still, you have small choices that create big differences and effects.  I LET HER GO,  Cause I'm am unable to help (Isn't it Contrary) She resists to refuse o ften reluctantly,  accepts all the ways of others like her own never existed. I am quite familiar with her unspoken speech  Sure, I was never there whenever she needs  But she knows me quite well, it was not intentional, And I was in grief ( See how eloquently I r

Who's She? She don't know!

 I feel that I'm not one, there are many selves within me, and each has its own abilities and disability. And I switch among these selves from time to time unknowingly, I have never chosen any of these selves but they are somehow present in my personality. Maybe they contain the reflection of my unseen life. Sometimes I even feel like I'm not many, besides having many selves within the very reason for this is the similarity in the values and principles.   If the question is " Who am I ?" the answer is "I'm the most  truthful, sern, honest, kind and pure-hearted soul I know." All the things related to this fragile life, the egoic one, (which loses its identity at times like it never existed) is a lie, an illusion we are identified with. But the reality, the truth which lies under this illusion is ultimate , penetrates through this layer of illusion to visualize the reality, the truth, the eternal. I find myself running from who I am. Sometimes unknowingl

छठ पूजा

लोकमान्यता का एक ऐसा महा पर्व जो बड़े शहरों में जा बसे लाखों लोगों को विवश कर देता है अपने घर लौटने को, गांव लौटने को, "बिहार" लौटने को। छठ पूजा के आगमन का अनुभव दीवाली बीतने के साथ ही शुरु हो जाता है। हवा में छठ गीतों के मधुर बोल मिश्रित होकर, सुनने वालों को अनुस्मरण करती हैं अपनी संस्कृति ,सभ्यता और लोक परंपरा के अनुपम संयोग के त्योहार की, छठ पूजा की। मुख्यतः बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला त्योहार, छठ पूजा श्रद्धालुओं के लिए महापर्व है,.. परंपरा, विश्वास और अध्यात्म की एकबध्यता का प्रतीक है । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाया जाता हैं।सूर्य देव तथा उनकी बहन छठी मैया की अराधना के इस पर्व का संबंध रामायण और महाभारत काल से है। मान्यता है कि मां जानकी ने अयोध्या लौटकर मां गंगा और सूर्य देव की पूजा की थी। तथा महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों की प्रतिष्ठा और साम्राज्य की पुनः प्राप्ति के लिए सूर्य देव का व्रत किया था। इसका वृत का वर्णन पौराणिक कथाओं में भी आता है।  गंगा के घाट पर , सूर्य की पुजा कर व्रती अपनी संतान की दीर्घायु , सुयश

The Pleasure of Not Appearing So Young

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People told me I am beyond my age . In the past recent 2 years I have always been assumed as a grown up because of having a good physique and maturity . Although it's is has nothing to do with my age but in the beginning it was really annoying and making me anxious. I wasn't self aware and believe whatever others tell me . They told me something like "at the age of 17 you became a 34 year old" or "you look doubled of your age " hearing this from my people was terrifying. These statements depressed me and forced me to think "what's wrong with me?" , "am I really overaged?" (Actually these are one of those questions which provoke me for self realisation and help me becoming a better person). But now I believe that there's nothing wrong to be like this, infact it's an advantage . I receive huge respect from everyone even from elders and also my knowledge and wisdom never let's me down leverage this advantage. My

कलम चरित्र

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फिर उस पुरानी सी कलम को हाथ में ले बैठे हैं कुछ शब्दों को अपनी कल्पना का कथन बनाने । कलम तो वही है जिसने रंगे है ना जाने कितने कागजों को अपनी स्याही से, पर हर लेखन के समय एक नया कागज चुना जाता है । स्याही और कागज मानो दो प्रेमी है जिनका अगुआ है कलम । काव्य सृजन के लिए स्याही का कागज से लिपटना या मिलन का कार्य कलम का दायित्व है। हर श्वेतपत्र की प्यास बुझाने कलम को निमित्त बना, स्याही अवश्य आती है वह आज फिर आई है और कोई कागज़ आज फिर रंगा गया है। लेखन अभिलेखित होने के बाद कागज़ और स्याही सराहे जायेंगे, हो सकता है पूजे, चूमे या सजाए भी जाए पर कलम सदैव तत्पर रहेगा अपने चरित्र को निभाने बिना किसी सराहना की अभिलाषा के, निभाएगा वो अपने पात्र को फिर एक निमित्त बनकर एक सुंदर सृजन के लिए। नोट:–उपयुक्त लेख के रचयिता ने इसे बिना किसी समीक्षा के प्रकाशित किया है अगर आपकी ओर से कोई टिप्पणी हो तो उसका स्वागत है।